अंजलि यादव,
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया,
नई दिल्ली: जी-7 शिखर सम्मेलन में चीन तो शामिल नहीं था, लेकिन जी-7 बैठक में सबसे अहम मुद्दा चीन ही था. चीन का कैसे घेराव किया जाए और कैसे चीन के चंगुल में फंसे छोटे-छोटे देशों को बाहर निकाला जाए, इसपर काफी माथापच्ची की गई. इस शिखर सम्मेलन की सबसे बड़ी बात थी जो बाइडेन का चीन के खिलाफ वो मॉडल, जिससे चीन पर डायरेक्ट चोट किया जा सकता है. लेकिन सवाल ये है कि क्या जो बाइडेन के इस मॉडल को चीन के खिलाफ एकजुट हुई वैश्विक शक्तियां अपना पाएंगी? जो बाइडेन ने जो 'बिल्ड बैक बेटर' ग्लोबल इन्फ्रास्ट्रक्चर प्लान शामिल किया है, जिसकी स्टडी में भारत जुट गया है.
'बिल्ड बैक बेटर वर्ल्ड ' ग्लोबल प्लान
ग्रुप ऑफ सेवन यानि जी7 की बैठक के दौरान मुख्य तौर पर चीन पर आर्थिक प्रहार करने की रणनीति बनाई गई है. जिसके तहत अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि अमेरिका चाहता है कि 'बिल्ड बैक बेटर वर्ल्ड' प्लान पर तेजी से काम किया जाए, ताकि चीनी प्रोजेक्ट्स की तुलना में समानांतर एक हाई क्वालिटी प्रोजेक्ट खड़ा हो सके. दरअसल, चीन की बेल्ट एंड रोड परियोजना यानि बीआरआई प्रोजेक्ट ने दुनिया के कई देशों में ट्रेनों, सड़कों और बंदरगाहों को बनाया है और उन्हें सुधारने का काम किया है. लेकिन, बीआरआई प्रोजेक्ट के जरिए चीन छोटे देशों को कर्ज के जाल में फंसा लेता है. जैसे चीन ने श्रीलंका का हंबनटोटा बंदरगाह हथिया लिया है, वहीं पाकिस्तान के सभी बड़े पार्क्स और एयरपोर्ट को चीन ने अपने कब्जे में ले लिया है. ऐसे में जी7 के नेताओं ने कहा कि वो एक पारदर्शी साझेदारी विकसित करना चाहते हैं, जिसकी गुणवत्ता उच्च मानकों पर खड़ा उतरे और कोई देश कर्ज के जाल में ना फंसे.
'बिल्ड बैक बेटर' में भारत होगा शामिल ?
भारत के लिए पाकिस्तान से भी ज्यादा खतरनाक दुश्मन चीन है और अब भारत पूरी तरह से समझ गया है कि चीन से आप किसी भी कीमत पर दोस्ती नहीं कर सकते हैं और अगर चीन को रोकना है तो चीन की तरह ही आपको भी चाल चलनी पड़ेगी. जो बाइडेन का 'बिल्ड बैक बेटर वर्ल्ड' परियोजना को 40 ट्रिलियन डॉलर की जरूरत होगी, और ये प्लान अगर कारगार होता है तो
भारत जैसे देशों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगी. क्योंकि, इस परियोजना से लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा. जो बाइडेन के इस महाप्लान को लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि 'भारत सरकार की अलग अलग एजेंसियां इस प्लान की स्टडी कर रहे हैं और स्टडी करने के बाद शायद भारत आगे जाकर इस प्लान में शामिल हो सकता है.' भारतीय विदेश मंत्रालय के सीनियर अधिकारी पी हरीष ने कहा कि 'अगर आप सिर्फ बिल्ड बैक बेटर फॉर द वर्ल्ड प्लान की बात करें तो हमारी सरकार की अलग अलग एजेंसियां इस प्लान को पढ़ रही हैं, और फिलहाल हम यही कह सकते हैं कि भारत आगे जाकर इस प्लान में शामिल हो सकता है'.
'बिल्ड बैक बेटर...' पर पीएम मोदी का विचार
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि ' प्रधान मंत्री ने इस बात पर जोर दिया है कि लोकतांत्रिक देशों को यह प्रदर्शित करना चाहिए कि परियोजना का कार्यान्वयन सिर्फ एक क्षेत्र में नहीं, बल्कि हमारी सुविधा का लाभ अलग अलग देश भी पूरी पारदर्शिता के साथ उठा सकते हैं.' भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस संबंध में भारत के पड़ोसी देशों से मिले अनुभव का भी हवाला दिया है और इस बात पर अत्यधिक जोर दिया है कि भारत इस संबंध में पारदर्शिता और समावेशी माहौल को बढ़ाने के लिए तैयार है.
डेमोक्रेटिक-11 बनाने का प्रस्ताव
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि चीन को काउंटर कैसे किया जाए, इसको लेकर ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने जी-7 का दायरा बढ़ाने का भी प्रस्ताव रखा है. ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा है कि 'जी-7 में भारत, ऑस्ट्रेलिया, साउथ कोरिया और साउथ अफ्रीका को शामिल कर लिया जाए और फिर 11 लोकतांत्रिक देशों को मिलकर डेमोक्रेटिक-11 का निर्माण करना चाहिए'. ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने कहा कि 'जी-7 में भारत की भागीदारी को ग्रुप ऑफ सेवन में शामिल सभी देशों ने सराहा है और प्रधानमंत्री मोदी ने जो विचार दिया है, उसे जी-7 में काफी स्थान दिया गया है. लिहाजा भारत कह सकता है कि जी-7 शिखर सम्मेलन हमारे लिए लाभप्रद रहा है और हम चाहते हैं कि हम इस ग्रुप के साथ अपनी भागीदारी को आगे भी बनाए रखें. खासकर इस साल के आखिर में होने वाले जलवायु परिवर्तन बैठक को लेकर कई और महत्वपूर्ण कदम उठाएं'.
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